Yuvrajpur Ghazipur 232332

जिला मुख्यालय से मात्र 8 किमी दूर गंगा नदी उस पार बसा प्यारा सा गाव युवराजपुर २३२३३२( थाना-सुहवल विकासखंड-रेवतीपूर तहसील-ज़मनिया )

Girish Kant

युवराजपुर गाजीपुर के युवक ने सिनेमाटोग्रॉफी में हासिल किया मुकाम

Shaheed Vishvabhar Singh Yuvrajpur Ghazipur

युवराजपुर प्रवेश द्वार पर युवराजपुर के वीर सपूत शहीद विश्वभर सिंह की मूर्ति

Vivek Singh (BJP Sector Pramukh)

प्रधान मंत्री उज्जावला योजना के अंतर्गत युवराजपुर मे रसोई गैस वितरण करते हुए बीजेपी सेक्टर प्रमुख विवेक सिह

Volleyball Match Ground at Yuvrajpur

गाव के प्रधान प्रतिनिधि श्री दिनेश सिंह (चुनमुन) के प्रयास से गाव मे रात मे वलीवाल मैच भी खेला जा रहा है

People of Yuvrajpur

विजयादशमी (दशहरा) के पावन अवसर पर युवराजपुर के लोग

Yuvrajpur on Google Map

आप उपर गूगल मैप पर क्लिक करके अपने गाव युवराजपुर को गूगल पर देख सकते है- https://www.google.co.in/maps/@25.5792208,83.6501437,16z

Jay Javan Jay Kisan

जय जवान जय किसान (प्यारा सा हरा भरा गाव यहा पर हर प्रकार की खेती युक्त ज़मीन है )

Saturday, 13 January 2018

युवराजपुर गाजीपुर के युवक गिरीश कांत ने सिनेमाटोग्रॉफी में हासिल किया मुकाम


युवराजपुर गाजीपुर के युवक गिरीश कांत Girish Kant  ने सिनेमाटोग्रॉफी में हासिल किया मुकाम

#गिरीश_कांत  #युवराजपुर #गाजीपुर( #Ghazipur #yuvrajpurआप नीचे दिए ज़ी सिने अवॉर्ड 2018 के लिंक पर #गिरीश_कांत को 9 से 16 मिनट के अंतराल मे देख सकते है
Zee Cine Awards 2018 - December 30, 2017 - Full Event

अगर, मन में दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है। कई ऐसे लोग होते हैं, जो इसी दृढ़इच्छा शक्ति की बदौलत अपना मुकाम हासिल कर लेते हैं। उन्हीं में से एक हैं उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के एक गांव युवराजपुर के युवक गिरीश कांत पिता का नाम विजय कांत । जिन्होंने सिनेमाटोग्रॉफी जैसे फील्ड को करियर के रूप में चुना, जिसको लेकर अमुमन ग्रामीणों में उतनी जागरूकता नहीं होती है।
वह भी ऐसे कल्चर में जब घर-गांव के लोगों की यह मानसिक प्रवृत्ति होती है कि उनके घर का लड़का जीवन चलाने के लिए सरकारी नौकरी हासिल करे। ऐसे में, अपनी सृजनात्मक क्षमता की बदौलत उन्होंने सिनेमाटोग्रॉफर के रूप में न केवल बॉलीवुड में एक अच्छी पहचान बना ली है, बल्कि अपने जिले और गांव का नाम भी रोशन किया है। बड़ी बात यह है कि उन्होंने रोहित श्ोट्टी की सफलतम फिल्म गोलमाल अगेन में बतौर एडीशनल सिनेमाटोग्रॉफर काम करके न केवल नाम कमाया, बल्कि शोहरत भी कमाई है। वह इसे अपने करियर का यू-टर्न मानते हैं, क्योंकि, उन्हें इस फिल्म से बहुत कुछ सीखने और समझने को मिला है। अपने लिए इस करियर को चुनने का जज्बा भी उन्हें एक संयोग के तहत जगा, जब एक स्थानीय शादी समारोह में उनके आंखों के आगे कैमरे का तेज फ्लैश चमका। वह कहते हैं कि आप चाहे तो इसे लव एट फस्र्ट साइट कह सकते हैं, लेकिन मेरे अंदर सिनेमाटोग्रॉफी के लिए जुनून तभी से पैदा हुआ।
गिरीश बताते हैं कि उसके बाद मैंने कई बार उस कैमरे को छूने की कोशिश की, लेकिन हर बार असफल रहा और डांट भी खाई। 2००5 में  राजकीय सिटी इंटर कॉलेज गाज़ीपुर 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद हमारे सभी साथी इस बात को लेकर काफी संशय में थे कि आगे करना क्या है। यह उनके करियर का संयोग ही रहा कि एक दिन दैनिक जागरण अखबार में प्रकाशित होने वाले जोश में उन्होंने गारमेंट फिल्म टेलीविजन इंस्टीट्यूट बैंग्लूर के बारे में पढ़ा। जिसमें सिनेमाटोग्रॉफी कोर्स के बारे में ही दिया गया था। वह बताते हैं कि फिर बिना कोई समय गवाएं उन्होंने बैंग्लोर जाने की ठान ली थी, परन्तु सच्चाई ये भी थी कि एक लोअर मिडल क्लाश परिवार से होने के कारण उस कोर्स की फीस मुझे सबसे अधिक आकर्षक लगी, जो मात्र 11 हजार प्रतिवर्ष थी, जिसे वह एफोर्ड कर सकते थ्ो, हालांकि कोर्स तीन साल का था, लेकिन बैंग्लोर में पांच साल गुजारने के बाद मैं मुबंई आ गया, क्योंकि तब मुझे बड़े फ्लैटफार्म की जरूरत थी। कुछ महीनों तक बतौर सहायक सिनेमाटोग्रॉफर काम करने के बाद मुझे पहले इंडिपेनडेंट काम के लिए फोन आया, फिर उसके बाद एक के बाद एक काम मिलने लगे, लेकिन मैं कहीं न कहीं अपने आप से खुश नहीं था, क्योंकि मुझे फिल्मों में काम करना था। आखिरकार, 2०15 में मुझे मेरी पहली फिल्म मिली द परफेक्ट गर्ल। एक छोटी बजट की फिल्म होने के बाद भी फिल्म ने अच्छा पैसा कमाया। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी मुझे कई फिल्मों के ऑफर आए, लेकिन जब तक स्क्रिप्ट अच्छी नहीं मिलती मैं काम के लिए मना कर देता था।
उन्होंने 2०16 अच्छा रहा, जब उन्हें रोहित श्ोट्टी की फिल्म गोलमाल अगेन में बतौर एडीशनल सिनेमाटोग्रॉफर काम करने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि इस फिल्म की वजह से मैंने काफी कुछ सीखा और देखा। फिल्म सफल हुई तो शोहरत भी कमाई। और अब मन में फिल्मों के लिए काम करने की इच्छा शक्ति रही है, लेकिन मजे की बात यह है कि उनके घरवाले उनसे अभी भी कहते हैं कि कोई सरकारी नौकरी देख लो, ये प्राइवेट है। सरकारी नौकरी की बात कुछ और होती है, लेकिन मेरा मानना है कि उन्होंनें इस जन्म को फिल्मों के लिए समर्पित किया है, अब जो होना है वो अगले जन्म में देख्ोंगे। वह बताते हैं कि मुझे फिल्मों से लगाव इसीलिए है कि ये एक धर्म है, जिसमें कोई किसी के धर्म को नहीं देखता और हम सिर्फ काम करते हैं। हम कुछ क्रिएट करने की कोशिश करते हैं, जिससे सब लोगों को आनंद आ सके।











संपादकीय
कुश तिवारी  Kush Tiwari
 युवराजपुर गाज़ीपुर
मोबाइल नो -: 9555484663